Hindi Shayari-बडी ही संजीदगी से संभाले थे ख्वाब,,जैसे बच्चे के खिलौने, कमरे के किसी कोने में ढेर से मीले अब उम्र के ढलते ढलते।
Hindi Shayari
बडी ही संजीदगी से संभाले थे ख्वाब,,जैसे बच्चे के खिलौने,
कमरे के किसी कोने में ढेर से मीले अब उम्र के ढलते ढलते।
अजय सावन
दोस्तों, इंसान जब बड़ा होके जवान होने लगता है तब इस दुनिया को देखकर उसने कई ख्बाब देखे होते हैं, उसकी आँखों में कई ख्वाब होते हैं, वह सोचता है की वह यह कर लेगा वो कर लेगा, यह पा लेगा वो पा लेगा, अपने हुन्नर से वह दुनिया को जीत लेगा । परन्तु जैसे जैसे उम्र बढ़ती जाती है वह देखता है की जिंदगी इतनी आसान नहीं है, यहाँ जीने के लिए संघर्ष करना पड़ता है, अपनी रोज़मरोज़ की जिंदगी को चलाने के लिए भी वह थक जाता है, तब उसे पता चलता है की जिंदगी उतनी आसान नहीं है जितनी की वह सोचता था फिर धीरे धीरे वह अपने ख्वाब जो उसने बुने थे वो वही के वही रह जाते है जैसे की कोई बच्चे के खिलौने किसी कमरे के कोने में पड़े होते हैं और उम्र ढलते ढलते जब वो पीछे मुडके देखता है तो पता चलता हे की मेरे ख्वाब कभी पुरे नहीं हुवे
यही जिंदगी है मेरे दोस्तों, इस शेर में शायर ने वही बात हमें बताई है
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धन्यवाद
Hindi Shayari-बडी ही संजीदगी से संभाले थे ख्वाब,,जैसे बच्चे के खिलौने, कमरे के किसी कोने में ढेर से मीले अब उम्र के ढलते ढलते।
Reviewed by ajay.khalpada
on
February 11, 2019
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